ख़राब सड़क,हमें क्या ?
आओ विकास का मुआयना करे
तस्वीरें और विडिओ उजागर करेंगी सच्चाई
आपको मैंने खींची फोटो बहुत कुछ बया कर रही है। दो करोड़ की लागत से बनी यह सड़क केवल सात महीने में इस हल में पहुंची है। यह सड़क महाराष्ट्र सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग के अहमदनगर जिले की कोपरगाव और श्रीरामपुर ब्रांच के अधिकार में है। इस हालत के लिए इन दोनों ब्रांच के इंजीनियर जिम्मेदार है। काम चल रहां था तब यह अपने निजी कामो में व्यस्त थे।यह राज्य महामार्ग ४६ है,जो पश्चिम में स्टेट हाइवे १० पर कोपरगाव से लेकर पूरब में नेवासा के औरंगाबाद पूना इस हाइवे को जोड़ता है।
इस काम का सुपरविजन करना इन्होने जरुरी नहीं समझा तो नतीजा इससे अच्छा नहीं आ सकता। दुर्भाग्य यह है के ,हमारी सरकार के तंत्र में मुलाजिमों और बाबुओ को जिम्मेदार मानाने का चलन या रचना है ही नहीं। हर बात के लिए न्यायपालिका के दरवाजे खटखटाने पड़ते है।
यु कहेनेके लिए त्रयस्थ निगरानी जिसे अंग्रजी में थर्डपार्टी सुपरविजन कहा जाता है। यह कैसा सुपरविजन है ? जो सात आठ महीने में झूठा साबित हो जाता है। क्या यह भ्रष्टाचार नहीं ? अगर है तो कौन करेगा इनपर कार्यवाही ? इन सवालोंके जबाब सरकार को देना चाहिए आखिर इस विशाल सरकारी तंत्र की भारीभरकम तनख्वा पानेवालों पर कार्यवाही के लिए न्यायपालिका में जाना हर किसी के बस की बात नहीं। इसे समझानाही बल्कि गंभीरता से लेना होगा।
ऐसी कार्यवाही जरुरी है ,तभी सुधार होगा।
https://youtu.be/2rm0edVJp5E
इस फोटो के निचे जो लिंक दिया है ,उससे आप मेरे यूटुब के चैनल पर जा सकते है। वह मैंने इसी विषय को लेकर सरकारी तंत्र की आँख खोलने का प्रयास किया है। चूँकि यह नजारा के साथ बड़ी मेट्रो सिटी का भी है। और वहा सिलिब्रिटी निवास करते है,तो वह अपनी तकलीफ को टवीट कर मंत्रियोका ध्यान खिंच सकते है। पर ग्रामीण भारत की इस तस्वीर पर कोण टवीट करे ? इसलिए मैंने यह प्रयास किया है। यह ग्रामीण भारत का नजारा है,जिन इलाको में सरकार के बड़े अधिकारी किसी नेता को प्रोटोकॉल देनेके लिए आते है। और नेता केवल वोट मांगने यहा तक पहुंचते है। जो सरकार चलाते है। हमारी सरकार को जो भी काम किया जाता है उसके पुनर्निरक्षण की व्यवस्था को निर्माण करना होगा। साथ ही अपने अधिकारियो को जबाबदेही बनाना होगा।
Nice