आज का दिन सिर्फ NDTV ,रवीशकुमार के नाम 

हिंदुस्थानी निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जानेवाले पत्रकार रवीशकुमार को मेग्सेस पुरस्कार का मिलना सम्पूर्ण एनडीटीवी परिवार के लिए गौरव की बात है। 
बहती गंगा में हाथ धोनेवाले पत्रकारिता के प्रति सरकार के मन में भलेही बहुत सम्मान हो। ऐसे ही पत्रकार सम्पादको की चलती हो ,पर दुनिया की नजरे सच्चाई पर टिकी होती है। इस बात का प्रमाण है ,रवीशकुमार को मेग्सेस पुरस्कार मिला।
हरदिन आलोचना ,टीका,टिपण्णी ,अभद्र शब्दों से कई ऊँची सोच का नतीजा है यह। इस सम्मान ने देश के उन सभी पत्रकारों के लिए एक नयी लौ जलाई है ,जो हमारे अपने ही समाज की आलोचना के शिकार होते रहे है। 
देश के हिंदी पत्रकार को मिले इस पत्रकार को बधाई देने के लिए बड़ा मन नहीं है ,यह दुर्भाग्य है। इस से वह लोग सोच से कितने छोटे है यह सारे हिन्दुस्थानने आज देखा है। इसे विचारशक्ति का दिवालियापन कहे सकते है।  
आज का दिन रवीशकुमार के साथ सम्पूर्ण एनडीटीवी परिवार के लिए गौरव का दिन है। दूसरी बात यह भी बेहद कठिन दौर से चल रहे है पर अपनी ईमानदार पत्रकारिता के लिए डॉ.प्रणय रॉय जो संघर्ष कर रहे है उसीका परिणाम यह मेग्सेस पुरस्कार है।  
आपके इस संघर्ष को हम सलाम करते है।
चुके पत्रकारिता कॉर्पोरेट के हाथ चली गयी तो स्वभाविक है,के बहुत कड़ी आलोचना,टिका टिपण्णी के साथ पत्रकारिता नहीं की जा सकती। पर हमे यह भी सोचना है के जनता को कितने दिन हम गुमराह करते रहेंगे। जो आज के पत्रकारोंसे बहुत हद तक सच्चाई की अपेक्षाएं लगाए बैठी है। 
सच तो यह है ,के चाटुकारिता दोनों को गंभीर हानि पहुंचा रही है, इसके चलते सरकार को जनता क्या सोचा रही है ?  क्या चाहती है ?  यह सच सरकार तक पहुंचने में चाटुकारिता नाकामियाब हो रही है।  दूसरी और जनता को जो सही ,सटीक और सच्ची जानकारी देने के लिए यही चाटुकारिता सक्षम नहीं है। जो पत्रकार सरकार की गलतियों पर उंगली उठाता है ,वही अपने देश और सरकार के प्रति आत्मीयता रखता है। अगर इसे कोई घृणा से देखे और उसे दुश्मन मानाने लगे तो उसे कौन समझाए ?
अपने देश के पत्रकार को मेग्सेस का पुरस्कार मिला है , यह हमारे देश के पत्रकारों के लिए सम्मान और गर्व की बात है।  रविश,कभी और कही रुकनेवाले पत्रकार नहीं है। सड़क पर खड़े होकर भी लोगोंतक जानकारी पहुंचाने वाले पत्रकार है। यही भेद होता है ,चाटुकारिता ,उदर्निर्वाहण की पत्रकारिता और असली देशभक्ति और समाज को जगाये रखनेवाली पत्रकारिता में ,लोग इसे समझेंगे तब तक सरकारों ने समाज के लिए दूरिया और नागरिको को गरीब और गुलाम बनाने के सारे इंतजाम किये होंगे ……
@माधव ओझा ……. ..
 
 
।। वन्दे मातरम।।   

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