बिना आधार जीवन निराधार।
आधार एक राष्ट्रीय पहचान पत्र जिसकी अनिवार्यता कुछ लोगो के लिए यातना दाई बन रही है। माना के समस्त देशवासियो को इस आधार के जरिये नयी पहचान हासिल हुयी है। पर कुछ ऐसे भी लोग है ,जो कई बार कोशिश करने के बाद भी अपना आधार बनवाने में कामियाब नहीं हो पाए है। ऐसे लोगो का जो नुकसान हो रहा है ,उसके लिए आधार की संस्था जिम्मेदार है। पर इसे https://uidai.gov.in/ सुलझाने के कोई आसान उपाय बनाने में अभी तक असफल साबित हुयी है। इसकी वजह यह भी है के यह संस्था देश के नागरिको को झूठा और ठगनेवाला समझ रही है। उन्हें झूठा मान रही है। इस मानसिकता से संस्था में बैठे लोगो को निकलना होगा। अपनी सोच को बड़ा करना होगा।
माना के देश के नब्बे प्रतिशत नागरिको के पास आज आधार पत्र है। बचे दस प्रतिशत के पास अभी नहीं है। और करीब बिस से पैतीस प्रतिशत नागरिको के पास आधार होते हुए भी उनमे गलतिया है। जिसे दुरुस्त करने के पर्याप्त उपाय यूआईडीएआय ने अभीतक निर्माण किये नहीं है। जो किये जा रहे है ,उनसे नागरिको को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है समस्या ?
बिलकुल नए आधार बनाने के लिए इस समय सर्वर को छोड़कर कोई परेशानी नहीं है। जो के दिन में करीब चार घंटे बंद होता है या स्लो होता है। दूसरी समस्या आधार में हुयी गलतियों की दुरुस्ती को लेकर है। जिनका समाधान यूआईडीएआय द्वारा जितना आसान बताया जाता है। उतना आसान जमींन पर नहीं है। जैसे के दस से बिस प्रतिशत लोगो के आधारपत्र पर गलत जनम तिथि है। जिसे केवल एक बार बदलने का प्रावधान है। यह प्रावधान सही है ,पर लाखोलोगोंको अपनी जन्म तिथि पताही नहीं है। और बिना जन्मतिथि के आधार रजिस्टर ही नहीं हो रहा है इस लिए गलत जनमतिथि डालकर आधारपत्र रजिस्टर तो करवा लिया अब उसे दुरुस्त करनेमे मुश्किलें आ रही है। वास्तविक यह गलती आधारपत्र बनाने का ठेका जिन कंपनियों को दिया था। उनके द्वारा जो ऑफलाइन काम किया गया उसके परिणाम में यह गलतिया हुयी है। जिसका खामियाजा आज अनपढ़ ,बुजुर्ग ,निष्पाप नागरिको को घंटो लाइन में खड़े होकर इस दुरुस्ती के लिए अपने दिन बर्बाद करने पड़ रहे है। बावजूद उसके उनका काम नहीं हो रहा है।
समस्य और भी गंभीर होती है तब
जब अपने परिवार के सभी के आधारपत्र बने है और एकाद सदस्य का आधारपत्र नहीं बन रहा है। ऐसे मामले के दो केस स्टडी हमारे पास है। एक है जिस महिला का आधारपत्र इसलिए नहीं बन पा रहा है ,क्यू के उनके हाथ के छाप पर उनके पिता का आधारपत्र रजिस्टर हुवा है। इस महिला ने चार बार अपने आधारपत्र के लिए आवेदन दिया है। पर सारे प्रयास असफल रहे। अब इस महिला ने दो बार अपने पति के नाम के साथ दो बार पिता के नाम के साथ आधार बनवाने की सारे प्रयास असफल रहे। अब पति की पेंशन मिलती है। एक आँख का ऑपरेशन हुवा है। दूसरी आँख है। हाथो के छाप पिताके आधार के साथ जुड़े है। जाये तो कहा जाए ?
फोटो : माधव ओझा
Uidai / यूआईडीएआय/don’t have remedies |
यूआईडीएआय के सहायता केंद्र समाधान नहीं दे सकते।
यूआईडीएआयने हाल के दिनों में काफी सारे पर्यायोंको आजमाने की कोशिश की है। इसी के चलते उनका पहले से एक टोल फ्री फोन नंबर 1947 जारी कर रखा है। जिसपर नंबर मिलाना एक मिशन के बराबर है। अगर आप इसे मिलाना शुरू करे तो ,करीब सौ बार कोशिश करनी होगी। इसके बाद भी आपकी कॉल कनेक्ट होने की कोई गारंटी नहीं। बड़ी मुश्किल से फोन लाइन मिली तो समस्य बताने से पहले कट जाती हैं। या फिर आपके मोबाईल की बैटरी दम तोड़ चुकी होती है। आपके लिए मैंने कुछ स्क्रीन शॉट यहाँ जोड़े है ,जिसे देख आप समझ सकते है की कितना समय बीतनेके बाद भी बात नहीं हो पाती है। तो यहासे सहायता की उम्मीद रखना बेमानी है। पर इससे यूआईडीएआय को क्या लेना? गौर करनेवाली बात यह भी है के ,यहाँ बैठे रेप्रेजेंटेटिव के अधिकारों का दायरा बेहद कम है। साथ ही इनके पास कोई ठोस उपाय या ओपिनियन नहीं होता जिसके आधार पर शिकायत करता का समाधान कर सके।
अब नयी समस्या से जूझ रहे है नागरिक।
इन दिनों बहुत बार आधारपत्र वेरिफाई नहीं हो रहे है। साथ ही कल तक जिनके बायोमेट्रिक हो रहा था। आज की तारीख में लाखो नागरिको के हरदिन के कामकाज की वजह से , कई लाख लोग आज डाईबेटिस,कैंसर ,हार्ट की दवाईया खा रहे है उनके उंगलिओंके छाप नहीं आ रहे है। दूसरी और लाखो लोगो के आखो के ऑपरेशन हुए है। उनका पुतलियोका वेरिफिकेशन नहीं हो रहा है। इसके लिए यूआईडीएआय के पास कोई आसान उपाय नहीं है।
कुल मिलकर आज की तारीख में यूआईडीएआय का आधार पत्र लोगो के लिए मुसीबत का पिटारा साबित हो रहा है।
आप लोग मुझे अपना अनुभव कमेंट में लिखे
Nice
खूपच छान लेख टाकलाय ओझाजी आधार एक समस्याच होऊन बसली आहे