कोरोना अर्धसत्य और भय की दुकान 

पूरी दुनिया के नाक मे दम करने वाले कोरोना से कुछ देश कैसे बचे है। इसका जबाब किसी के पास नही। बिना किसी सुरक्षा उपयो के स्वीडन ,ताईवान, तान्झनीयाने कोरोना को मात दे दी। बिना किसी लॉकडाऊन,बिना मास्क,सोशल डीस्टंसींग के कैसे किया कोरोना से सामना इसे समझने के जरुरत है।और इसे समझते है तो इस षडयंत्र को भी समझाना असान होगा। 

हमारी तुलना गलत देशो से है।

हिन्दुस्थनी सरकार पश्चिमी मुल्को के साथ अपनी तुलना कर खुद की पीठ थपथपा रहे हैं । जब के हमे हमारे बराबरी की आबादीवाले चीन के साथ अपनी तुलना करनी चाहिए थी । पर ऐसा नही हुवा । और होता तो हमे हमारी तैयारी,हमारा विकास,हमारी किसी आपदा से निपटने की शक्ती का ऐहेसस हो जाता। जब के जिस चीन मे यह कोरोना अस्तित्व मे आया उस चीन मे पुरे देश मे लॉकडाऊन नही लगा। माना के यह सब चीन का षडयंत्र है। पर उन्हो ने पूरी ताकत के साथ इस व्हायरस का मुकाबला कर अपने देशवासियो के मरनेवालो के आकड़े को रोकने मे कमियाबी हासिल की इसे मानना होगा। 
यह एक लम्बी बह्स और जाँच का विषय हो सकता है। पर कभी ना कभी तो हमे सोचना होगा। दूसरा मुद्दा यह भी है,हमारे कितने देशवासी इस समय चीन मे बसे है। क्या उन्होंने हमे पूरी इमानदारी से वहा की जमिनी सचाई से अवगत कराया था? मुझे पूरी आशा है इसका जबाब उन्हो ने हमे कोई सही और सटिक जानकारी साझा नही की है। उन्हो ने इतना भी काम पूरी इमानदारी से कर दिया होता तो आज हम इतना ड़रे नही होते।और आसानी से कोरोना का सामना कर लेते। इसमे बहुत कुछ खोज कर लिखना होगा। 
अब हमारे देश की बात करते है, क्या हम अपने जीवन को इटली,अमेरिका,जर्मनी,फ्रान्स के साथ कैसे जोड़ लिया। उनसे कई गुना स्वस्थ और तंदुरुस्त हमारे देशवासी है। जो किसी भी परिस्थिती मे जी सकते है।ऐसे मे इन देशो की सर्दी गर्मियो से बेहद भिन्न है हमारा वातावरण। जो हमे एक अच्छे जीवन को प्रदान करता है। पिछली कुछ दशको से हम पश्चिमीयों का अंधानुकरण करते आ रहे है। इस बार भी हमने वही किया । और आनन फानन मे लॉकडावुन कर दिया। जिस का फायदा कितना हुवा यह एक जाँच का मुद्दा है। जब के इस दौरान हमारे देश के ग्रामीण भारत की स्वास्थ्य सेवा को बहुत सक्षम करना चाहिए था। जो बिल्कुल नही हुवा। उसके बदले मे हमारी सरकारने शहरो मे ही हिंदुस्थान को समिलित किया। और उसे पर ही ध्यान लगाकर कोरोना से लड़नें का जो फैसला लिया उसने संकट को गहरा कर दिया। और आज देश की सरकारे घर पे इलाज होने की या किये जाने की बात कर रही है। अगर ऐसा ही था तो इतना भय क्यू फैलाया जा रहा है या गया है

तर्क और निर्णय अधुरी,गलत जानकारी पर लिए जा रहे है 

 कभी हमे बताया गया के N 95 आपको कोरोना से बचायेगा। अब बोल रहे है यही मास्क से संक्रमण हो सकता है। पहेले से विपक्ष और ज्ञानी लोग टेस्ट करवा ने लेकर आग्रह कर रहे थे। जब के टेस्ट से ए सीम्टॉमटीक के मामले सामने आने लगे है।जिन पर इलाज करने का कोई रास्ता ही नही है।और अब जब टेस्ट ज्यादा किये जाने लगे तो आकड़े डराने लगे है।इस टेस्ट को लेकर जो तर्क दिये जा रहे है वह सब बेमानी लगने लगे है। ऐसे मे टेस्ट करने से किसको लाभ हो रहा है ? टेस्ट कीट बेचनेवाले और टेस्ट करवाने का आग्रह करनेवाले एजंटो  को इस सवाल का जबाब कौन देगा? और RtPCR टेस्ट का मार्केटिंग दुनिया की सभी सरकारों ने किया है । क्या चीन ने यह टेस्ट किया और उन्हो ने कैसे अँटीबॉडी टेस्ट कीट तयार किया इसको समझाना होगा। 
हमे इस संकट से निपटने के लिए चीन से तुलना करनी होगी न के पश्चिमी देशो से जो हमारे देश के वातावरण और जीवन शैली से बेहद भिन्न है।

क्या इन्हे कोरोना से बचाया जा सकता है ।

आप मेरे इस फोटो को देख कर देश मे कोरोना संकट की जमिनी सच से रुबरु हो सकते है। क्या इन्हे कोरोना का संक्रमण नही होगा ? शायद नही होगा क्यू के वे हमारे जैसी आधी अधुरी योजनाबद्ध जानकारी से बाधित और ग्रसित नही है। 

photo by madhav ojha

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *