हिन्दुस्थान के लोकतंत्र का लोहा दुनिया में माना जा रहा है। और यही मानकर हम देशवासी जी रहे है। यु तो मेरा देश बहुत सारी विविधताओ के रंग बिरंगी रंगोसे खुबसूरत बना है। ये हमारी सकारात्मक विचार है ,जिसे हम देशवासी रटते आ रहे है। और यह सोच समाज में पिरोनेवाले ब्यूरोक्रेसी ,राजनैतिक व्यक्तित्व हमेशासे केवल स्वार्थ पर सवार होकर सारी नीतिया बनाते आये है।
सरकार किसी की क्यू न हो ,इन दो समाज को अपने स्वार्थपर कोई आच न आये इसलिए प्रयास करते हुए सभी देशवासी देखते आये है। और भी बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी है। स्वतंत्राके साठ साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार को लोगोने चुना। सन २०१४ सारे देशवासी यह सोच रहे थे के पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के मामालो पर यह सरकार सज्ञान लेगी। और गंभीरतासे उन सभी मामालोपर कार्यवाही होगी। साथ ही ब्युरोक्रेसी की मनमानी पर अंकुश लगेगा। जनता की इस अपेक्षा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
यहाँ असफल रहे मोदी
जहातक मेरा नरेंद्र मोदीजी की सरकार का निरक्षण है। हो सकता है,आज आपको ग़लत लगे पर सच तो ये है के मोदीजी हिंदुस्थानी राजनेताओंकी छवि सुधारने की कोशिश में ब्यूरोक्रेसी पर अंकुश लगाने में असफल रहे। आज की तारीख में यही न्यूरोक्रेसी भाजपा के सरकार को डुबाने में अग्रेसर होगी। गौर करनेवाली बात यह है ,के इसी ब्यूरोक्रेसी ने कोंग्रस के कार्यकाल में बनी सभी परियोजनाओं इस सरकारसे बड़ी आसानी से पूरा करवालिया। जैसे आधार,अन्न सुरक्षा ,उज्वला योजना,नरेगा यह सारी कांग्रेस की योजनाए थी।
२०१४ के चुनाव मे भाजपा के प्रचार दे दौरान हुई भाषणबाजीमे कई जुमले हुए। जिसमे हर कहते में पंधरा लाख रूपये जमा किये जाने की बात बोली गयी। साथ ही काला धन देश में लाने की बात किसी वादेसे कम न थी। आज यह ज़ुमले इस सरकार के लिए बड़ा सरदर्द बननेवाले है।
बड़े फैसले पर उपाय नहीं
मोदीजी की सरकारने बहुत बड़ा और कड़ा फैसला लिया ज्यो इतिहास में लिखा जायेगा। उसका नाम “नोटबंदी”देशवासी इस फैसले से खुश थे। पर इस ख़ुशी का एक बड़ा कारण यह भी था के हम याने के आम आदमी किसी धनिक का बाल बाक़ा नहीं कर सकते उनका पैसा नोटबंदी में बर्बाद होनेवाला हैं। यह सोचकर खुश था। पर मोदीजी की टीम को लगा के जनता बहुत खुश है। अब जब काला बाजारी करनेवाले,अचानक से धनिक हुए लोग ,ज़मीन ,रेती ,शिक्षा माफिया बड़ी सफाईसे अपना काला पैसा बैंको में जमा कर आज व्हाइट कोलर बनकर घूम रहे है। तो यह देख मोदीजीके चाहनेवाले अपनेआप को कोस रहे है। इस दौरान कोई धनिक नोटबंदीसे परेशान नहीं दिखा। ना ही किसी लाइन में दिखा, जहा आम जनता जूझ रही थी। लेकिन यह फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया गया। तभी जाकर नए करंसी नोट आज भी बाजार में नहीं आये है। अगली साल GST लाये। पता नहीं इस सरकार को इन बड़े फैसलों को जल्दी में लागु करने की जरुरत क्यू पड़ी ?यह सवाल हमेशा रहेगा। क्यू के सरकार की नियत साफ होती तो पेट्रोलियम प्रोडक्ट GST में ले आते। वन नेशन वन टैक्स तो चार स्लैब बनाने की जरुरत ही क्यू पड़ी ? आज छूटे पैसे बाजार में नहीं है ,तो राऊंड उप के नाम पर पुरे देश में करोडो लोगो से हरदिन चवन्नी अठन्नी के माध्यमसे लाखो रुपये लूट हो रही है। यह भी किसी टैक्स में आता है ?पर यह नहीं हुवा तो सरकार मनमानी कर रही है। यही कहा जा सकता है।
डिजिटल बने लेकिन लूट नहीं रोक सके
इस सरकार ने डिजिटल इंडिया के माध्यमसे बैंक अपने मोबाईल में ले आये। जनधन के माध्यमसे कई करोड़ नागरिकोके बैंक खाते खोल दिए। इस के माध्यमसे लोगो का पैसा बैंको में लेके आये जरूर पर बैंक चार्जेस पर लगाम लगाने की बजाय बैंकोंको लूटने की सहूलियत दे दी। तो दूसरी ओर सी एस सी और सी एस पि के माध्यमसे नागरिकों को पैसे निकलने और जमा करने का उपाय दे दिया। पर सी एस सी और सी एस पि चालकों को मिलनेवाली कमीशन से उसका इंटरनेट बिल भी नहीं कमाया जाता इस सच्चाई से मुँह फेर लिया। तो क्या ख़ाक रोजगार निर्माण किये ? उल्टा बिजली बिल ,फोन बिल के लिए अपनी जमा पूंजी लुटाकर सी एस सी और सी एस पि चालक कंगाल हुए। आनेवाले दिनों में जनधन के बैंक खाते जितने तेजीसे खुले उतनी ही तेजीसे बंद भी होंगे क्यू के कोई बैंक सरकार के कहनेपर बैंक चार्जेस नाम की लूट से जनधन खाता धारकों को कंगाल करनेवाली है।